Monday, March 29, 2010

वो हमेशा हमें आजमाते रहे .........

वो हमेशा हमें आजमाते रहे .........

जीवन में कभी न कभी किसी न किसी से प्यार हो जाता है। जिसे हम प्यार करते है उसे नहीं पता चलता की कितना प्यार करते हैं। प्यार को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता, इसे महसूस किया जा सकता है।

वो हमेशा हमें आजमाते रहे
प्यार में वो हमें यूँ सताते रहे।
यादों में इस कदर वो आने लगे,
आँखों में बन के आंसू सामने लगे।
वो भी मजबूर है वक़्त के हाथ में,
इसलिए हमसे दूरी बनाने लगे।
हम तो उनके लिए एक खिलोना सही,
इस तरह भी उन्हें हम हँसाते रहे।
दिल भी टूटा मेरा, चोट मुझको लगी,
दर्द में भी सदा मुस्कुराते रहे।
प्यार का नाम बदनाम हो न कही,
इसलिए प्यार सबसे छुपाते रहे।
याद आये कभी भी न उनको मेरी,
दिल में उनको लिए दूर जाने लगे।







Friday, March 5, 2010

मरती इंसानियत
सारे जमीन को बाट दिया है, जाती के नाम पर, क्षेत्र के नाम पर, धर्म के नाम पर. ऊपर वाले ने एक जमीन बनाई थी. बटवारे के नाम पर दंगे होते हैं, जिसमे सिर्फ बेकसूर मारे जाते हैं. किसी का दोस्त मरता है, किसी का भाई, किसी का बेटा, किसी का पति. एक जिन्दगी खत्म हो जाने से कितने ही रिश्तों की मौत हो जाती है.

वो चला था सफ़र पे कुछ सपने लिए,

"कर सकूँगा कुछ अपने कुछ सबके लिए".

माँ बाबा का अपने वो विश्वास था,

बुढ़ापे के उनकी वो एक आस था.

थी बहिन की भी डोली सजानी उसे,

फ़र्ज़ राखी की थी तो निभानी उसे.

दोस्त यारों में भी वो तो मशहूर था,

हर किसी के लिए वह तो एक नूर था.

जा पहुंचा वो अनजान एक देश में,

थे दरिन्दे जहा इंसान की वेश में.

कर दिया दरिंदों ने इंसानियत तार तार,

ढाए उसपे सितम कर दिया उसपे वार.

गिर गया वो जमीन पे तड़पने लगा,

था दिया जो किसी को वो बुझने लगा.

सो गया वो बिचारा सदा के लिए,

वो चला था सफ़र पे कुछ सपने लिए.